जिया-जूण हुवै
सिकती रोटी दांई
पिसीजै
गूंधीजै
बंटीजै
अर सिकै है
होळै-होळै.
सिकते-सिकते
बळ ई सके
कांई जेज लागै.
इण सारू
सावचेत हु’र
उथळता रया
बेगी सीक
जिया जूण सी
रोटी नै !
(मानस के राजहंस) शेख सादी ने कहा है, "इससे पहले कि दुनिया तुम्हें मुर्दा कहे, नेकी कर जाओ !" समाज सेवा के लिए कतई जरूरी नहीं है ...
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